हकलाने वाले बच्चों के लिए उम्मीद और सुधार की शुरुआत

हकलाने वाले बच्चे: कारण, लक्षण और समाधान

हकलाने वाले बच्चे कौन होते हैं?

हकलाने वाले बच्चे बोलते समय ध्वनियों या शब्दों को बार-बार दोहराते हैं, खींचते हैं या रुक जाते हैं। यह एक प्रकार का स्पीच फ्लुएंसी डिसऑर्डर है। यह स्थिति आमतौर पर 2 से 6 वर्ष की आयु के बीच शुरू होती है और यदि समय रहते इलाज न मिले तो लंबे समय तक बनी रह सकती है।

हकलाने के सामान्य लक्षण:

  • ध्वनियों, शब्दों या वाक्यों की दोहराव: “म-म-म-मुझे चाहिए”
  • लंबी खिंची हुई ध्वनियाँ: “म्म्म्म… मैं बोलूंगा”
  • बोलते समय अचानक रुक जाना (ब्लॉक्स)
  • अतिरिक्त शब्दों का प्रयोग जैसे “उम…, अह…”
  • बोलते समय तनाव या डर

यदि हकलाने वाले बच्चे इन लक्षणों को लगातार अनुभव कर रहे हैं, तो माता-पिता को सतर्क हो जाना चाहिए।

हकलाने के कारण:

  • न्यूरोलॉजिकल विकास में देरी
  • पारिवारिक इतिहास या अनुवांशिकता
  • बचपन में मानसिक या सामाजिक दबाव
  • भाषा सीखने में तेजी से बदलाव

हकलाने वाले बच्चे कई बार तनाव, तेज़ बोलने की आदत, या परिवारिक वातावरण के कारण और अधिक हकलाने लगते हैं।

हकलाने वाले बच्चों के लिए सरल और असरदार टिप्स:

  • धीरे और स्पष्ट बोलने की आदत डालें।
  • बच्चे को बीच में न रोकें – उसे अपनी बात पूरी करने दें।
  • उसके बोलने के प्रयास की तारीफ़ करें।
  • घर में शांत, सहायक और सकारात्मक माहौल बनाएं।
  • एक समय में एक ही सवाल पूछें और उत्तर देने का पर्याप्त समय दें।
  • स्क्रीन टाइम कम करें और संवाद बढ़ाएं।

हकलाने वाले बच्चों को सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है समझ और धैर्य की।

पेरेंट्स के लिए सुझाव:

  • रोज़ाना 5-10 मिनट का क्वालिटी टाइम ज़रूर बिताएं।
  • जब बच्चा बोले, उसकी आँखों में देख कर ध्यान से सुनें।
  • उसे यह महसूस कराएं कि आप उसकी बात को पूरी तरह समझते हैं।
  • कहानियाँ पढ़ें, खेल खेलें – ताकि उसका आत्मविश्वास बढ़े।
  • अपने बोलने के तरीके से उदाहरण बनें – धीरे और शांत बोलें।

क्या थेरेपी की ज़रूरत है?

अगर हकलाने वाले बच्चों में लक्षण 6 महीने से ज़्यादा समय से हैं, या परिवार में किसी को हकलाने की आदत रही है, तो स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट (SLP) से संपर्क करना बेहद ज़रूरी है। शुरुआती थेरेपी से बच्चों को बेहतर सुधार देखने को मिलता है।

अधिक जानकारी के लिए आप AIISH मैसूर की वेबसाइट देख सकते हैं – यह भारत सरकार का भाषण एवं श्रवण संस्थान है।

Neuronurture Kids में हम कैसे मदद करते हैं?

Neuronurture Kids में हमारे अनुभवी स्पीच थेरेपिस्ट्स बच्चों को एक सुरक्षित और सहयोगी वातावरण प्रदान करते हैं। हमारे सत्र प्रत्येक बच्चे की जरूरत और उम्र के अनुसार डिजाइन किए जाते हैं।

हकलाने वाले बच्चों के लिए हम विशेष प्लान तैयार करते हैं जो उनकी संप्रेषण क्षमता को धीरे-धीरे बेहतर बनाते हैं। हम पेरेंट्स को भी मार्गदर्शन देते हैं ताकि घर में भी निरंतर सुधार हो सके।

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निष्कर्ष:

हकलाने वाले बच्चे यदि समय रहते सही मार्गदर्शन और सहयोग पाएँ, तो वे बिना किसी डर के अपनी बात कहने लगते हैं। उन्हें समझने, समर्थन देने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता होती है — और यही हम Neuronurture Kids में करते हैं।

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